गाँधी जी का चरित्र चित्रण
मुक्तिदूत सियारामशरण गुप्त द्वारा रचित खण्ड काव्य है, जिसमें महात्मा गांधी को नायक के रूप में चित्रित किया गया है। इस काव्य में गांधी जी का चरित्र उनके सत्य, अहिंसा, त्याग, और सेवा के आदर्शों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।
गांधी जी का चरित्र चित्रण:
1. सत्य और अहिंसा के पुजारी:
गांधी जी को सत्य और अहिंसा का प्रतीक बताया गया है। उन्होंने अपने जीवन में कभी असत्य का सहारा नहीं लिया। सत्य के मार्ग पर चलकर उन्होंने जनमानस को प्रेरित किया और अंग्रेजों के अन्याय के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन किया।
2. त्याग और बलिदान का मूर्तिमान रूप:
गांधी जी ने व्यक्तिगत सुखों का त्याग कर देश सेवा को अपना जीवन ध्येय बनाया। वे सादा जीवन और उच्च विचार के पक्षधर थे। उनके बलिदान और त्याग ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।
3. आध्यात्मिक व्यक्तित्व:
गांधी जी का व्यक्तित्व अत्यंत आध्यात्मिक था। उन्होंने गीता के सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारा और उसे कर्मयोग के रूप में अपनाया। वे मानते थे कि आध्यात्मिकता के बिना जीवन अधूरा है।
4. जनसेवा और नेतृत्व क्षमता:
गांधी जी ने अपने जीवन को जनसेवा के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने भारत की आजादी के लिए न केवल आंदोलन किए, बल्कि सामाजिक सुधारों पर भी जोर दिया। उनकी नेतृत्व क्षमता ने करोड़ों भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा।
5. समाज सुधारक:
गांधी जी ने छुआछूत, जातिवाद, और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ संघर्ष किया। वे हरिजनों के उद्धार के पक्षधर थे और समाज में समानता स्थापित करना उनका उद्देश्य था।
6. सादगी और स्वावलंबन के पक्षधर:
उनके जीवन में सादगी और स्वावलंबन का विशेष महत्व था। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन के माध्यम से विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया और खादी का प्रचार-प्रसार किया।
मुक्तिदूत में महात्मा गांधी का चरित्र आदर्शवादी, प्रेरणास्रोत और युगनायक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। वे भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक ही नहीं, बल्कि मानवता के प्रति असीम प्रेम और सेवा के सजीव उदाहरण थे।

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